Tuesday, January 26, 2010

जानकी जी को मिला पद्मश्री



निराला के दौर के शेष रह गए दुर्लभ मसिजीवियों में से एक आचार्य जानकी जो को देर से ही सही पद्मश्री सम्मान मिलने की खबर से शेरघाटी में ख़ुशी की लहर व्याप्त है.वहीँ कुछ लोगों को नाराजगी इस बायस है की आप को पद्मभूषण से नवाज़ा जाना चाहिए था.
शेरघाटी से कुछ ही दूरी पर है मैगरा जहां आचार्य-कवि जानकी वल्लभ शास्त्री का बचपन का दिन बीता.यहीं की गलियों में आपने उछल-कूद मचाई .कविताई भी संभवता यहाँ के पहाड़ों और नदियों ने करना आरम्भ करवा दिया था.कई पुस्तकों के रचयिता जानकी जी के मानास से विभिन विधाओं में कई पुस्तकों का सृजन हुआ है.

आपको राजेन्द्र शिखर, भारत भारती और शिवपूजन सहाय जैसे कई पुरस्कारों से पहले ही समादृत किया जा चुका है।

सन १९९४ में भी आपको पद्मश्री देने की सरकारी-घोषणा हुई थी, लेकिन आपने तब लेने से इनकार कर दिया था.इस बार भी अनमने मन से उन्हों ने इसे स्वीकार किया है तथा इसमें उनके परिवार और शुभचिंतकों की महती भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता.श्री जानकी जी का कहना है कि अब इस उम्र में उनके लिए ऐसा सम्मान अपमान की तरह है, हमसे अच्छा किसी नए लोगों को दिया जाता , जैसा अब तक सरकार मुझसे कई कम वयस्कों को ये सम्मान पहले ही दे चुकी है.उनहोंने आगे कहा कि रामवृक्ष बेनीपुरी या दिनकर को ऐसे सरकारी सम्मान से पहले ही जनता उन्हें अपने प्रेम से समादृत कर चुकी थी.और जनता ने ही दिनकर को राष्ट्र-कवि का खिताब दिया।

जानकी जी ने कहा कि उनका सम्मान भी उनके पाठक और प्रशंसक हैं.जो बहुत हैं।

काफी दिनों से जानकी जी मुजफ्फरपुर में रह रहे हैं।

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