Sunday, November 29, 2009

फ़िल्म जागो: शहर की बोलती इबारत



समीक्षा के बहाने

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शहरोज़


मध्य- बिहार माओवादियों की हिंसक वारदातों के कारण हमेशा चर्चा में रहता है . शेर शाह सूरी मार्ग,जिसे अब एन.एच-2 कहा जाता है पर स्थित है मध्य -बिहार का प्राचीन शहर शेरघाटी.वैदिक काल में भी इसका ज़िक्र मिलता है, ऐसा कुछ लोग मानते हैं.एतिहासिक सन्दर्भ मुग़ल काल के अवश्य मिलते हैं.किव्न्दंती है कि शेरशाह ने यहाँ एक वार से शेर के दो टुकड़े किए थे। जंगलों और टापुओं से घिरे इस इलाके को तभी से शेरघाटी कहा जाने लगा.शेरशाह ने यहाँ कई मस्जिदें , जेल , कचहरी और सराय भी बनवाया था.तब ये मगध संभाग का मुख्यालय था.संभवता बिहार-विभाजन तक यही दशा रही.कालांतर में धीरे-धीरे ये ब्लाक बनकर रह गया। 1983में इसे अनुमंडल बनाया गया.मुस्लिम संतों और विद्वानों की ये स्थली रही है. वहीँ प्राचीन शिवालयों से मुखरित ऋचाएं इसके सांस्कृतिक और अद्यात्मिक कथा को दुहराती रहती हैं १८५७ के पहले विद्रोह से गाँधी जी के '४२ के असहयोग आन्दोलन में इलाके के लोगों ने अपनी कुर्बानियां दी हैं.हिन्दी साहित्य में पंडित नर्मदेश्वर पाठक,यदु नंदन , विजय दत्त युवाओं में,शहरोज़, प्रदीप, सुभाष और उदय आदि की सक्रियता है लेकिन उर्दु अदब यहाँ का काफी उर्वर और संग्रहणीय है। ख्वाजा अब्दुल करीम से असलम सादीपुरी , सिराज शम्सी से आज के नुमान -उल -हक ,फर्दुल हसन तक लम्बी फेहरिस्त है.शहर से लगे हमजापुर में भी कई नामवर शायर-अदीब रहते हैं.जिनमें नावक हमज़ापुरी जैसे लोग अंतराष्ट्रीय पहचान रखते हैं.



जब हम चड्डी पकड़ कर दौड़ा करते थे तो रिक्शे के पीछे चिपकी रंगीन तस्वीरें आकर्षण थीं.और ये रिक्शा कस्बे की पहली टाकीज भूषन का रहता.कुछ ही दिनों बाद ये हाल बंद हो गया.टूरिंग सिनेमा हाल के नाम पर बने राजहाल को तीन दशक हुए होंगे, करीब इतना ही कमोबेश यहाँ मंचित हुए किसी नाटक को हुआ.इप्टा यहाँ कभी सक्रीय नहीं रहा , ही रामलीलाओं की ही परम्परा रही है.लेकिन ऐसी पृष्ठभुमी में भी कई प्रतिभाएं ऐसी हैं जो सिर्फ़ चमत्कृत करती हैं बल्कि लबरेज़ अपनी संभावनाओं से
युवा लेखक शहरोज़ और रंगकर्मी-एक्टिविस्ट इमरान
अग्रिम पंक्ति में खड़े सूरमाओं को ललकारती भी हैं.इमरान अली भी इसमें एक .इक्कीसवीं सदी के इस उपभोक्तावादी दौर में आपादमस्तक समाज के लिए प्रतिबद्ध होना, निसंदेह जिंदादिली का काम है.इमरान में ऐसी ही खूबी है.स्थानीय समाचार चैनलों के लिए काम कर चुके सक्रीय सामाजिक कार्यकर्त्ता इमरान ने -जागो का निर्देशन कर अपनी तमन्ना को श्रम के बूते साकार किया, तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने मिशन में सफल रहा यह युवा

फिलहाल बहुरुप्या और शेरघाटी -गाथा नामक दो फिल्मों के लिए काम कर रहा है
दो शब्दों का युग्म जागो जहाँ आकर्षक और मोहक भी है वहीँ इस शब्द में उसकी गंभीरता भी निहित है। आम से लगते इस शब्द का इस फ़िल्म में निर्णायक अर्थों में इस्तेमाल हुआ है

ग्रामीण कस्बाई परिवेश और उसमें तीन स्कूली बच्चों के अपहरण के मामले से शुरू हुई यह फ़िल्म भ्रष्ट ,लचर प्रशासन , और आम-जन की असहाय स्थिति को सामने लाती है यह बताती है कि अपराधियों की राजनीतिज्ञों के संग की जुगलबंदी किस तरह समाज के ताने-बाने को भंग कर रही है स्थानिय बोली-भाषा में बनी इस फ़िल्म का विषय भले बिहार जैसे प्रांत के लिए चिर-परिचित हो लेकिन इसकी प्रस्तुति यह प्रश्न अवश्य खड़ा करती है कि आख़िर कब-तक यह सब देखा और सहा जायगा ?आगे पढने के लिए क्लिक करें :

3 comments:

Unknown said...

Bhaiya,
achhi pahal ,par sirf sherghati town tak simit n karke poore subdivision ki pahal, sanskritik uttarchadabh ,halchal,partibha ko bhi yaad kare .
Jaglal mahto ,Barhmdev shastri, janki balbh sastri aadi ke kritya ko nahi bhool sakte.
azadi ke pahle Bihar ke sabse bade bazar ke roop me raniganj ko jana jata tha......... paas ke manatu jamindar,pipara jamindar apne kai achhe boore kamo ke liye bhi jane jate hai..........un sabko yaad karke likhe..........mai bhi madad karunga.
chhote se block imamganj evm iske aaspaas bhi bahut kuch hai likhne layak...........
Mai chhaunga ki aap ek poorani sakhsiyat ko series bana kar likhe........

Rakesh pathak.

Unknown said...

Bhaiya bahut hi sandar....Publish ho chuki evm ho rahi pustako ka vivran dena prashansniye hai.........Aantrik khushi hui....jitni teji se aap sabkuch de rahe hai lagta hai mano ek din me sabkuch de dena chhate ho .........bhaiya maza aa gaya..........khaskar mai Imaran ji ko bhi badhai dena chahta hun........Mujhe lagta hai ye samagri provide karwane me unhone khoob mehnat ki hai .....dhanyabad Imaran ji........

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Parichay karane ke liye aabhaar.

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अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
पुरुषों के श्रेष्ठता के 'जींस' से कैसे निपटे नारी?