Wednesday, December 9, 2009

दलितों के बाबा नहीं रहे!

गाँव में चूल्हा नहीं जला!

पूर्व पुलिस महानिदेशक जगतानंद का निधन गत गुरुवार को पटना में हो गया। स्व.जगतानंद शेरघाटी के चिताव गांव के मूल निवासी थे। खबर जैसे ही चिताब पहुंची। , गांव में मातम पसर गया। धीरे-धीरे खबर आसपास के गांवों एवं पंचायतों में फैल गयी। शुक्रवार को पूरे गांव में चूल्हा नहीं जला।

चिताब गांव में रहकर बिहार राज्य के डीजीपी बनने के बाद भी कभी इन्होंने यहां के लोगों को यह एहसास नहीं होने दिया कि वो पुलिस विभाग के इतने बड़े अधिकारी हैं। जब भी पैतृक गांव आते सभी से मिलते-जुलते. सरलता-सहजता उनकी फितरत में शुमार था। आसपास के महादलित परिवारों में पूर्व डीजीपी जगतानंद 'बाबा' के नाम से जाने जाते थे। पड़ोस के महादलितों एवं गरीबों के लिए तो भगवान थे। जब भी किसी को कोई दुख तकलीफ होती। पड़ोसी अपनी फरियाद लिये बाबा के पास पटना चले जाते। बाबा गरीबों की बात सुनते और उनके दुख में शरीक हो उनकी जरूरत को पूरा करते थे। गांव के कोई भी आदमी बाबा से मिलने जाते बाबा उन्हें अपने कमरे में बैठाकर खाना खिलवाते और लोगों की हालचाल लेते थे। बाबा की मृत्यु से पूरे गांव मातम में है।
डीजीपी की मृत्यु पर प्रखंड प्रमुख तनवीर फातमा, मुखिया बैदेही प्रसाद, समाजसेवी जाकीर हुसैन, ताज इशरत, प्रखंड भाजपा उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा, जनता दल[यु] के वरिष्ठ नेता मसरूर आलम, रंगकर्मी-लेखक विजय दत्त और एक्टिविस्ट इमरान अली ने ने गहरा शोक प्रकट किया है।

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