Thursday, February 18, 2010

आज़ादी के योद्ध्या ..की दुखद -कथा

शेरघाटी से ही सम्बंधित बिस्मिल अजीमाबादी की पंक्ति सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है....के जोश में ही जगलाल महतो आये थे.आज़ादी मिलने के बाद हुए प्रथम चुनाव में आप शेरघाटी के पहले विधायक चुने गए.लेकिन प्रतिबद्धता के साथ ज़िन्दगी जीने वालों को हमारा समाज और देश क्या दे पाता है..ये ख़ास रपट बानगी पेश करती है.कभी अखबार के लिए लिखी गयी राकेश कुमार पाठक रौशन की इस दुखांत-कथा को हम साभार पुन: प्रस्तुत कर रहे हैं..क्या दशा अब भी बदली है....जवाब होगा कतई नहीं!



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