Sunday, December 20, 2009

तालाब में सब्जी की खेती


जिला भूमि संरक्षण विभाग द्वारा संचालित राष्ट्रीय जल-छाजन विकास परियोजना के तहत गुलसकरी नाला के नाम से बाराचट्टी प्रखंड में स्थापित नाला के नाम


से बाराचट्टी प्रखंड में स्थापित दल वाटर शेड में केन्द्र व राज्य सरकार ने करोड़ों रुपये की योजनाओं को संचालित कराने के लिए राशि दिये थे। इसके लिए उक्त परियोजना के द्वारा वाटर शेडों में कार्यालय भी स्थापित किये गये थे। इन वाटर शेडों का गठन वर्ष 2003-04 में किया गया था। इस दौरान सभी कार्यालयों में कुर्सी, टेबल तथा छह सौ रुपये का महीना पर चपरासी को बहाली भी की गयी थी। कार्यालय तो कहीं नहीं खुले। लेकिन कार्यालय को बोर्ड हर जगह लगा दिया गया। परियोजना शेड के माध्यम से गांवों में तालाब निर्माण, चापाकल लगवाने, बाग-बगीचा लगाने, बीज, दवा छिड़कने वाली मशीन, किसान पंखा, नीम की खल्ली, सिलाई हाथ मशीन, किसान कुदाल, धान पीटने की मशीन, बकरी पालन के लिए बकरी का वितरण, केंचुआ खाद तैयार करने वास्ते वर्मी कंपोस्ट का निर्माण जैसे अन्य कार्य की योजना बनी। सरकार ने इस क्षेत्र को रुपये भी दिये। परंतु इन पैसे का दुरुपयोग होने के कारण कार्य धरातल पर नजर नहीं आता है। प्रखंड के बीबी पसेरा वाटर शेड संख्या 9 के बीबी पसेरा गांव में पन्ना प्रसाद, सुरजदेव सिंह, बेरी गांव के हबीब खां एवं गोसाई पेसरा गांव में तालाब का निर्माण कराने की बात सामने आयी है। बहरहाल बीबी पेसरा गांव में पन्ना प्रसाद की खेत में तालाब निर्माण किया गया। जिसमें निर्माण समय से ही सब्जी की खेती श्री प्रसाद करते आ रहे हैं। वहीं उक्त लोगों का तालाब निर्माण कार्य अधूरा है। सूत्र बताते हैं कि एक तालाब निर्माण के लिए सरकार के द्वारा 50 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दिया जाता है। इस पैसे का खर्च वाटर शेड के अध्यक्ष एवं सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है।

वर्ष 2007 के अगस्त माह में बीस सूत्री की जिला बैठक में स्थानीय विधायक सह मंत्री जीतन राम मांझी एवं जदयू के नेता सह जिला बीस सूत्री सदस्य राजेश कुमार उर्फ राजू रजक ने उक्त मामले को उठाया था। इस पर बीस सूत्री के प्रभारी मंत्री अर्जुन राय ने जिलाधिकारी को एक जांच कमेटी बनाकर विभाग द्वारा किये गये कार्यो को जांच कर दोषी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। परंतु जांच की फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। राजेश कुमार उर्फ राजू रजक बताते हैं कि जांच कमेटी का गठन भी किया गया है। लेकिन वह टीम बाराचट्टी आकर वाटर शेडों में क्यों नहीं जांच कर रही है। यह बात रजक के समझ में नहीं आती।


साभार:जागरण





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